Tuesday, October 8, 2013

द्वितीय अध्याय - गौपाल एवं कपिल मुनि की चर्चा

जब ऋषि कपिल को गौपाल के प्रण के बारे में ज्ञात हुआ तो गौपाल को सेवक द्वारा संदेश देकर उसे बुलवाया । संदेश प्राप्त होने पर गौपाल कपिल मुनि के समक्ष उपस्थित हुआ ।

कपिल मुनिः गौपाल अत्यंत चिंतित दिखाई दे रहे हो ।

गौपाल: मुनिवर राज्य की प्रजा अत्यंत दुखी है  परन्तु मै इसका कारण नहीं जान पा रहा है । मैने यह दृढ निश्चय किया है कि मै अपने राज्य को सुख एवं समृद्ध शाली बनाउॅगा ।

कपिल मुनिः पुत्र आपकी भावना से मै बहुत प्रभावित हॅू परन्तु यह कार्य आप कैसे करेंगें एवं आपके पास इसकी क्या आपकी है ।

गौपाल: मुनिवर मेरे चिंतन कारण भी यही परन्तु मेरे पास इसका कोई समाधान नही है ।

कपिल मुनिः पुत्र इसका समाधान प्राप्त करने के लिये आपको राज्य एवं आपके पूर्वजो का इतिहास समझना होगा  सम्पूर्ण समाधान उसी में है ।

गौपाल: मुनिवर, वह इतिहास मुझे कहाॅ से प्राप्त होगा ।

कपिल मुनिः यदि आप इतिहास सुनना चाहतें है तो मै आपको सम्पूर्ण इतिहास बताउॅगा ।

गौपाल: मुनिवर, बताइये ।

कपिल मुनिः पुत्र, आज नही मेरे ध्यान करने समय हो चुका है कल प्रातः मै आपके पूर्वजो का गौरव मय इतिहास बताउॅगा ।

गौपाल अपने महल आ गया  एवं अगली एवं अगली प्रभात की प्रतिक्षा करने लगा । 

1 comment: