Tuesday, October 8, 2013

प्रथम अध्याय - गौपाल जन्म


नुनसर राज्य की वर्तमान परिस्थिति अत्यंत दयनीय है । यहाॅ सभी घरों के लोग निर्धन एवं अस्वथ्य है ।  प्रजा के पास खाने के लिये कुछ भी नही है । प्रत्येक प्रजा जन अपने साथ गोलियों का थैला लेकर चलता है । जिसे वह प्रभात से संध्या तक अपने शरीर को चलाने के लिये खाता है । राज्य की भूमि भी उपजाउ नही है ।  एवं िदन प्रतिदिन अज्ञात कारणों से इसकी उपज भी कम होती जा रही है । सभी किसान जन भारी कर्जे के तले दबे हुऐे है । एवं बहुत सारे किसानों आत्महत्या भी कर ली है । परन्तु यहाॅ पर डाक्टर बडे ही प्रसन्न मुद्रा में रहते है । यह डाक्टर आंगलदेश गुप्त चर एवं एजेंट है । जो लोगो को दवाईयां बेचकर बहुत सारा धन अर्जित करते है । 



यहाॅ के निवासी भगवान से समृद्धि की कामना करते है । एक दिन भगवान ने प्रजाजनों  की  सुन  ली  एवं उन्हे सुख एवं समृद्धि का वरदान दिया । अगले ही दिन राजा वासुदेव के यहाॅ पर बहुत ही मोहक एवं सुन्दर राजकुमार उत्पन्न हुआ । राजा जी ने अपने गुरू पारासर एवं कपिल मुनि से परामर्श के बाद पुत्र   का   नाम गौपाल रखा । गौपाल को राजा वासुदेव ने अन्य देश शिक्षा प्राप्त  करने  के  लिये  भेज दिया  एवं  राज्य की वास्तविक स्थिति से कभी परिचित नही होने दिया । गौपाल जब शिक्षा ग्रहण करके वापस  आया  तब  उसे राज्य की दयनीय स्थिति को देख कर बडा ही दुख हुआ  एवं इस विचार को लेकर वह बडा ही चिन्तित  रहने लगा । 

समाप्त 

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