प्रातः होते ही गौपाल कपिलमुनि के आश्रम मे उपस्थित हो गया है
गौपालः जी मुनिवर फिर क्या हुआ ।
मंत्री राबर्टः मिस्टर किंग हम उनसे मित्रता किस आधार पर करेंगें ।
आंग्ल किंगः तुम वहां व्यापार के बहाने जाओ ।
मंत्री राबर्टः यदि उन्हे हमारी मंशा का ज्ञान हुआ तो वह मुझे समाप्त कर देगें ।
मंत्री राबर्टः परन्तु मै यदि सेना लेकर गया तो उन्हे शंका हो जायेगी ।
आंग्ल किंगः तुम केवल सुरक्षा के नाम से बहुत थोडी सी सेना लेकर जाना ।
मंत्री राबर्टः जी किंग ।
कपिलमुनिः आपके दादा रामनरूद्र दौ सौ वर्षो पहले यहां के राजा थे । वह स्वभाव से बडे शांत एवं दयालु थे । वे बडे पराक्रमी एवं धनुविद्या एवं तलवार बाजी में माहिर थे परन्तु उन्होने कभी किसी भी राज्य पर आक्रमण नही किया था ।
गौपालः जी मुनिवर फिर क्या हुआ ।
कपिलमुनिः फिर पडोसी देश आंग्ल के किंग का यह बात पता चली । उनसे नुनसर देश को लूटने का विचार बनाया । परन्तु उसने इसके युद्ध का सहारा नहीं लिया । यह कार्य उसने छल एवं कपट के सहारे करने का विचार बनाया । उसका मंत्री राबर्ट क्लाईव था । अब मै आपको उनका संवाद कहता हूॅ ।
आंग्ल किंगः मंत्री राबर्ट जाओ नुनसर देश के राजा रामनरूद्र से मित्रता करो एवं मौका मिलते ही उसे समाप्त कर सारा हडप लेना ।
मंत्री राबर्टः मिस्टर किंग हम उनसे मित्रता किस आधार पर करेंगें ।
आंग्ल किंगः तुम वहां व्यापार के बहाने जाओ ।
मंत्री राबर्टः यदि उन्हे हमारी मंशा का ज्ञान हुआ तो वह मुझे समाप्त कर देगें ।
आंग्ल किंगः नुनसर देश के राजा बडे ही दयालु है । यदि ऐसा करते समय पकड लिये जाओ तो उनसे क्षमा याचना कर लेना ।
मंत्री राबर्टः परन्तु मै यदि सेना लेकर गया तो उन्हे शंका हो जायेगी ।
आंग्ल किंगः तुम केवल सुरक्षा के नाम से बहुत थोडी सी सेना लेकर जाना ।
मंत्री राबर्टः जी किंग ।
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