Friday, October 11, 2013

चतुर्थ अध्याय-मंत्री राबर्ट का व्यापार आग्रह

मंत्री राबर्ट ने नुनसर देश में आकर आपके दादाजी से निवेदन किया कि वह नुनसर देश में  वह व्यापार करना चाहता है ।

मंत्री राबर्टः श्री राजा रामनरूद्र का आंग्लदेश के मंत्री राबर्ट क्लाईव ।


राजा रामनरूद्रः श्री मान राबर्ट आईये अपना स्थान पर विराज मान हो। आप कहें किस देश के निवासी है । एवं हमारे देश भ्रमण का कारण बताऐं ।

मंत्री राबर्टः मै राबर्ट क्लाईव आंग्न देश का मंत्री हॅू। मेरे देश के किंग आपके देश नुनसर से मैत्री संबंध बनाना चाहते है ।

राजा रामनरूद्रः हम आपके मैत्री संबंध को स्वीकार करतें है ।

मंत्री राबर्टः जी महाराज ।

राजा रामनरूद्रः अब आप अपने मन की बात कहें ।


मंत्री राबर्टः महाराज, आपका देश नुनसर महान भारत वर्ष का  एक महत्वपूर्ण अंग है । यहाॅं पर उत्पन्न होने वाली खाद्य सामग्री, कच्चा माल आदि बहुत उत्तम गुणवत्ता की होती है । जिसे हम अपने महाद्वीप यूरोप के देशो में बेचकर धन अर्जन करना चाहते है ।

राजा रामनरूद्रः आप हमारे मित्र है । और हमारे भारत वर्ष मे मित्र के लिये सर्वस्व त्याग करने की प्रथा है । हम आपसे व्यापार करेंगें ताकि आपको लाभ हो सके ।

मंत्री राबर्टः मन मे सोचता है  कि मुझे बडा आश्चर्य यहाॅं के राजा बडे उदार है हमारे यूरोप मे तो छल एवं कपट की प्रथा है । यह तो अंधविश्वास कर रहें है हमारे किंग सही कह रहे थे । 

No comments:

Post a Comment