Wednesday, October 16, 2013

सप्तम अध्याय - नुनसर देश का दमन


आंग्ल देश का नुनसर देश पर अधिकार होते है । उसने सारी प्रजा को कष्ट देना प्रारंभ कर दिया । सबसे पहले नुनसर देश की महारानी सीतापार्वती के गहने, कपडो, को आंग्ल देश भेजा गया । महारानी सीतापार्वती आपकी परदादी थी । बहूमूल्य से बहूमूल्य सोना, चांदी, हीरे मोती रत्न, नीलम, कोहिनूर, हीरा, वेद, पुराण एवं सभी कुछ वह आंग्लदेश ले जाने लगे ।

विरोध करने वाली प्रजा की हत्था कर दी जाती थी । जो भी साहित्य, ग्रंथ एवं वस्तुऐ आंग्ल देश के सेना न ले जा पाते वह नष्ट कर दी गई । आपको परदादा रामनरूद्र को बदी बनाकर रखा गया एवं उन्हें यातनाऐं देना प्रारंभ किया गया ।


धीरे धीरे नुनसर देश की सारी समृद्धि आंग्लदेश के राजा समाप्त देना चाहते थे। परन्तु आंग्नदेश राजा एवं मंत्री राबर्ट कि इतनी लूट के बाद नुनसर देश धनी तो नहीं हुआ परन्तु यहां के लोग कुशल एवं हष्टपुष्ट होते रहे । जो बीच बीच में आंग्लदेश किंग के विरूद्ध युद्ध छेडते रहे । नुनसर देश परतंत्र होने के बाद भी स्वयं के उपयोग हेतु अन्न एवं दूसरी सामग्री उत्पन्न करने में सक्षम रहे ।

म्ंात्री राबर्ट एवं आंग्लदेश किंग को यह बात बिल्कुल पसंद न आती । तब उन्होने नुनसर देश सांस्कृतिक रूप से अधिकार करने की योजना बनाई ताकि वह नुनसर को आगे आने वाले हजारों वर्षो तक परतंत्र बना कर रख सके ।

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