बंगाल चुनाव 2021 परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं भाजपा को 100 से कम सीटों की उम्मीद ना होगी । रैलियों के अंबार बड़े-बड़े मंत्री ऐसी गाड़ियां बंगाल मैं बहुत घूमी । संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का व्यापार कुछ समय से बंगाल चुनाव के फेरे ले रहा था।
2 मई को जनता का निर्णय संपूर्ण देश में देखा। कई राजनीतिक जानकारों की गणना चुनाव में धराशाई हो गई। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को भयंकर राजनीतिक पटकने दी है। भाजपा प्रवक्ता इस हार को तार्किक मानदंडों की कसौटी में जीत में पलटने में लगे परंतु उन्हें आत्म चिंतन एवं मंथन करने की आवश्यकता है। उन्हें असंवेदनशील भाषा, ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने , अतार्किक के कारण, अभद्र एवं उत्तेजित भाषा का प्रयोग करने से कठोर प्रतिबंध की आवश्यकता है।
जय पराजय जीवन का एक भाग है कार्य संपन्न होने के पश्चात कार्यों को और बेहतर तरीके से करने के लिए कार्यों की समीक्षा आवश्यक है। बंगाल चुनावों में भाजपा की हार के कुछ बिंदु रेखा अंकित करने का प्रयास कर रहा हूं
1. Petrol, diesel, Rasoi gas मूल्यों में बढ़ोतरी पर सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से अड़ा रहना। बढ़ोतरी को पार्टी का तंत्र सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक आधार द्वारा आम जनता को नहीं समझा पा रहा है। प्रवक्ता एवं मंत्रियों द्वारा दिए गए कथन यूपीए-2 के मंत्रियों एवं नेताओं से मेल खा रहे हैं
2. बेरोजगारी के मुद्दे पर बड़े नेताओं द्वारा चुप्पी साध ली जाती है समर्थन में बड़े ही अजीब से तर्क दिए जा रहे हैं । स्वरोजगार संबंधी योजना की प्रवक्ताओं द्वारा कोई चर्चा नहीं की जा रही है पार्षद से लेकर कैबिनेट मिनिस्टर केवल बड़े-बड़े आंकड़े प्रस्तुत करने में व्यस्त हैं शिक्षित एवं मिडिल क्लास युवाओं को योजना एवं तर्क हवा हवाई लग रहे हैं।
3. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा क्षेत्रीय मुद्दों की चर्चा लगभग ना के बराबर की गई है वर्तमान युवा पीढ़ी केंद्र एवं विधानसभा चुनावों के मध्य अंतर समझती है अतः जब भाजपा द्वारा विधानसभा चुनावों में केंद्रीय मुद्दों को रखा जाता है तो उसे बड़ी ही सहजता होती है एवं आमजन के मध्य उपेक्षा का भाव उत्पन्न होता है।
4. बंगाल चुनावों को नाक का मुद्दा बनाना भाजपा की बड़ी गलती है
5. भाजपा द्वारा रैलियों में अनावश्यक राजनेताओं की सक्रियता से बीजेपी को भारी हानि का सामना करना पड़ रहा है यह प्रयोग मध्य प्रदेश के दमोह उपचुनावों में, बिहार चुनाव में विफल रहा है राजनेताओं की अनावश्यक सक्रियता ने चुनाव में बंगाली अस्मिता को ठेस पहुंचाई है कभी-कभी ज्यादा मिठास होने से भी भोजन का स्वाद बिगड़ जाता है।
6. भाजपा के कई नेताओं को यह कहते हुए सुना है कि वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का कोई भी विकल्प उपलब्ध नहीं है यह कथन अपने आप में ही आत्मघाती है अभी भाजपा विजय से बहुत दूर है इस प्रकार का विचार पुराने किए गए संपूर्ण कठोर परिश्रम को नष्ट करने वाला सिद्ध होगा।
7. बंगाल में मुख्यमंत्री पद का चेहरा ना होना भी भाजपा हेतु हानिकारक रहा है जनता के सम्मुख दिल्ली जैसी परिस्थिति खड़ी कर दी गई है जहां पर किसी को भी मुख्यमंत्री बना दिया जा सकता है भाजपा द्वारा बनाए गए नए मुख्यमंत्रियों में केवल योगी आदित्यनाथ एवं सर्वानंद सोन बोले ही सफल दिखाई दे रहे हैं अन्य राज्यों में मुख्यमंत्रियों की लोकप्रियता बहुत ही निचले स्तर पर है यह मंथन योग्य विषय है
8. सरकारों को चतुर एवं चालाक नहीं दिखना चाहिए आम जनमानस के मध्य सरल एवं सहज होना चाहिए राजनेताओं द्वारा दिए जाने वाले अप्रसांगिक तर्कों से जनता का मन दुखी होता है
9. चुनावों में हारने के पश्चात सोशल मीडिया में राज्यों के मतदाताओं को कार्यकर्ताओं एवं राजनेताओं द्वारा मूर्ख कहना बहुत ही असहनीय एवं कष्टदायक है