Monday, August 19, 2013

Chousar or DayaKattan (चैासर)

भारतीय इतिहास में चैसर की कहानी तो सभी जानते है । वर्तमान पीढी शायद ही इसे  जाने परन्तु प्रौढ हो चुके हमारे बुजुर्ग अभी भी इसकी विशेषता को जानते है । यह एक खेल है जिसे पुराने समय में जुऐं के रूप में एवं मनोरंजन के लिये खेला जाता था । महाभारत में यही खेल द्रोपदी के अपमान के कारण बना था एवं महाभारत युद्ध कराया था ।  जिसने सम्पूर्ण कौरव वंश का नाश किया । इसके अतिरिक्त नल दंयंति की जीवन में भी चैसर के खेल में पडे राजा नल को  जीवन में बुरा समय देखने के लिये मजबूर कर दिया था ।

इतिहास जो भी हुआ हो परन्तु वर्तमान पस्थिति बहुत भिन्न है । आज चैसर को जानने वाले कम है । यह खेल अब लोग खेलते भी कम है। अगर स्थिति ऐसी ही रही तो यह खेल कुछ समय बाद विलुप्त हो जायेगा । इसे संरक्षण की आवश्यकता है । इस लेख में चैसर के विचित्र खेल प्रणाली के बारे में कुछ प्रकाश डालना चाहूगा ।

जैसा कि नाम से पता चलता है इसके चार सिरे होते है इसिलिये इसे चैसर कहते है । इसमे अधिकतम चार खिलाडी हो सकते है । परन्तु खेल को खेलने के लिये कम से कम दो खिलाडियों की आवश्यकता होती है । प्रत्येक खिलाडी के पास चार गोंटियां होती है । इसमें चार लोग होने पर दो दो लोगों के समूह बना दिये जाते है, समूह केवल उन्ही खिलाडियों के बन सकते है जो आमने सामने बैठें हो । इस खेल मे छयानवें खाने होते है। छयानवें खानो को चार भागों में विभक्त किया जाता है । तीन पांसे-डाईस होती है, प्रत्येक पांसे के छः मुहाने होते है। चार आगे पीछे और एक उपर एवं एक नीचे। प्रत्येक पांसे में एक, दो, पांच एवं छः बना होता है । पुरातन समय में यह पांसे हाथी दांतो से बनी होती थी । इन्ही पांसों को चलकर शकुनी ने द्रोपती को जीता था । यह खेल समान्यतः वर्षाऋतु में खेला जाता है । इस खेल की कोई समय सीमा में नही होती है । यह खेल 10 मिनटों से लेकर पूरा दिन भी चल सकता है । पांसों का खडा हो जाना अशुभ माना जाता है एवं ऐसा होने पर गंगा स्नान का प्रावधान है ।


यह खेल पूरी तरह से मानसिक एवं धैर्य स्तर को बढाने वाला है । इसमें चाले बडी चतुरता के साथ चली जाती है । अनुभवहीन खिलाडियों के लिये इसमें विजय पाना संभव नही है । नवील खिलाडियों का विजय प्राप्त करना किसी चमत्कार के कम नही  है ।

मैने यह खेल बचपन मे नुनसर ग्राम जबलपुर जिला मध्यप्रदेश भारत मे बहुत खेला में एवं देखा भी है । मुझे खेलते समय बडा ही आनंद आता था । परन्तु यह खेल नशे के रूप में भी देखा जाता है जो सब कुछ चोपट कर देता है।

टी0वी0 युग इस खेल को दैत्य की तरह लील रहा है । अब इस खेल की काई प्रतियोगिताऐं नही होती है क्योंकि इसे ्िरककेट, मोबाईल , कम्पयूटर गेम इसका स्थान ले चुके है । बहुत दुखद है कि इतना प्राचीन एवं अच्छा खेल समाप्त होने की कगार पर है ।

खिलाडी & अधिकतम चार, कम से कम दो ।

गोटियां & सोलह, प्रत्येक खिलाडी के पास चार  ।

पांसे & इन्हे अग्रंजी में डाइस की कहा जा सकता है ।

समय अवधि & अनिश्चित ।

बोेर्ड & इसमें चार सिरे होते है । प्रत्येक गोटि को केंद्र में लाना होता है ।

इसके उपर एक पहेली भी है जो मुझे पता है वह निम्न लिखित हैः

    एक महल के छयानवे दरवाजे सोलह सखी बुला दो तीन जनों की ब्यालिस आंखे इसका अर्थ बता दो ।

No comments:

Post a Comment