Thursday, August 22, 2013

बक्सर की यात्रा (Buxor)

15-जुलाई-2013 का सुबह आठ बज चुके है, सूर्यदेव बक्सर को अपनी  किरणों से सुशोभित कर रहें हैं श्री राव साहब की योजना के अनुसार हमें सवेरे नौ बजे बक्सर को देखने के लिये निकलना है । अभी सुबह के आठ बजे है एवं मुझें भूख लगी है । अतः मेरा मन स्टेशन पर लगे ठेलों की ओर जा रहा है । ठेलों पर लिटृटी बनाने की तैयारी की जा रही है । यह दो प्रकार से बनाई जा रही है ।  पहला तेल मे तलकर एवं दूसरी सिगडी पर । सिगडी एक प्रकार चूल्हा होता है । मेरा मन लिटृटी खाने के लिय ललाईत हो रहा है । इस सुरम्य अवसर का लाभ उठाते मैने लिटृटी खाने का निर्णय लिया है । एक प्लेट में चार लिटृटी एवं चने की सब्जी दी गई है । इसका मूल्य 12 है इसे खाने बाद पेट के सारे चूहे घोर निंद्रा मे चले गयें है ।

एक फल मुझे दिखा जो जबलपुर में नही दिखता है वह अमडा, अमडा का प्रयोग चटनी बनाने के लिये किया जाता है । इसका आकार आम के जैसा होता है । यह 16 रूपये किलो बिक रहा था एवं स्वाद में खटटा है । इसके बाद मैने पान खाया ।


यह बक्सर का देसी पान है। यहां दो पान एक साथ दिये जाते है । पानो का आकार बहुत छोटा है । एवं स्वाद बहुत बढिया । यह दो पान मात्र चार रू0 मे मिलते है । श्री राव साहब का दूरभाष आया कि वह प्रस्थान कर चुके है । उन्होने बताया कि बक्सर पापडी प्रसिद्ध है । मैने घर के लिये एक किलो पापडी खरीदी है । पापडी का मूल्य 120 से 200 रू तक है ।

श्री राव साहब मुझे भोजन कराने का हट कराने लगे, यह श्री राव साहब से मेरी द्वितीय भेंट थी अतः मै आश्चर्य में था । वह हट करके ले गये जो मेरे लिये अद्भुत एवं भययुक्त था । अतः मैने उनके यहाॅ भेाजन नही किया केवल मिठाई खाई । और अन्त मै हम दोनो बक्सर दर्शन को प्रस्थान कर चुके है । श्री राव साहब धार्मिक प्रवत्ति के है उन्होने मुझे निम्न स्थानो पर घुमाया ।

1 श्री रामजानकी आश्रम          2 श्री त्रिदण्डी जी महारज समाधी स्थल
3 ताडका वध स्थल                 4 नौलखा मंदिर
5 बाजार                                                

निम्न स्थान ऐसे है जिन्हे मै नही देख पाया हॅू
6 श्री राम रेखा घाट            7 राबर्ट क्लाईव का किला
8 गौशाला


बक्सर का वास्तविक नाम व्याघ्रसर है । जो शायद अंगे्रजो ने बिगाडकर बक्सर कर दिया होगा क्योकिं व्याघ्रसर का उच्चारण करना श्वेत प्राणि अंग्रेजो के बस का नही होगा । व्याघ्रसर नाम के पीछे एक दंत कथा यह है कि किसी ऋषि ने अन्य ऋषि को व्याघ्र होने का श्राप दे दिया एवं वह व्याघ्र - शेर बन गये परन्तु यहो स्थित झील एवं तालाब में स्नान करने के बाद वह पुनः मनुष्य स्वारूप मे वापस आ गये । अतः इसे व्याघ्रसर कहा गया । यह नगर अत्यंत पुराना है  यहा पर ऋषि विश्वामित्र ने तपस्या की थी  एवं श्री राम जी ने ताडका वध किया था । श्री शिव एवं पार्वती की तपो भूमि के रूप में भी व्याघ्रसर को जाना जाता है ।

यह नगर गंगा द्वारा दो भागों मे विभाजित किया गया है । एक भाग उत्तर प्रदेश एवं दूसरा भाग बिहार मे स्थित है ।  नगर के केन्द्र में 1857 क्रांति के नायक बाबू कंुवर सिह जी का पुतला लगा हुआ है । जो यहाॅ की गौरव गाथा स्वयं गाता है । यहॅा पर अंगे्रजी शासन काल का एक महत्वपूर्ण युद्ध सिराजुद्धदोला एवं रावर्ट क्लाईव की सेनाओ के बीच लडा गया था । इस युद्ध ने भारत के इतिहास  को बदल दिया था । यह युद्ध सिराजुद्धदोला हार गये थे । व्याघ्रसर में सफाई की थोडी सी कमी है । नगर के रिक्सो में बडे ही आनंद एवं कम पैसों मे घूमा जा सकता है ।

अब  दोपहर के 12ः30 हो चुके है । मेरी टेन का समय हो चुका है । श्री राव साहब 
घर की ओर कूच कर चुके है ओर मे होटल से प्लेटफार्म की ओर निकल चुका हूॅ । मेरी टेन प्लेटफार्म न0 दो पर आना है । टेन का नाम राजेन्द्र नगर टर्मिनल है जो पटना से चलकर मुम्बई जाति  है ।  मै टेन पर बैठकर जबलपुर की ओर चल चुका हूूॅं । रात्रि 12 बजे  मूझे जबलपुर स्टेसन पर उतारदिया है । मेरा मित्र सौरभ समैया स्टेसन पर आ चुका है ।

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