Thursday, August 22, 2013

15 अगस्त 1947 को जवाहर लाल नेहरू का भाषण ( First Speech of Jawahar Lal Nehru in Independent India)

भारत 15 अगस्त 1947 को स्वातं़त्र हो गया । अखण्ड भारत का एक हिस्सा टूटकर अलग हो गया । भारतवासियों को यह दुख सदैव रहेगा । पडिण्त जवाहर लाल नेहरू ने स्वातं़त्र भारत का पहला भाषण भारतीय लोकसभा में दिया । यह भाषण दुनिया की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषणों में से एक गिना जाता है । यह भाषण आपको नेट पर मिल जायेगा । जिस समय यह भाषण दिया गया था पेतीस करोड थी ।


पडिण्त  नेहरू ने यह भाषण अंग्रजी भाषा में दिया था । मैने बहुत समझने का प्रयास किया कि किस आधार पर  पडिण्त नेहरू ने भाषण की भाषा चुनाव किया परन्तु उनका निर्णय मेरी समझ से बाहर है।  आज 2001 की जनगणना के आधार पर भारत में केवल अंग्रजी भाषा बोलने वालो की संख्या कुल जनसंख्या का 12 प्रतिशत है । 1947 अंग्रजी भाषा बोलने वालों का कोइ आंकडा तो मुझे नही मिल पाया है परन्तु यह बात मे कह सकता हॅू कि अंग्रजी भाषा बोलने लोगों की संख्या बहुत कम या कहे न के बराबर रही होगी ।


हम एक नया युग प्रारंभ करने जा रहे थे और पडिण्त  नेहरू ने भाषा चुनी अंग्रेजों वाली । वह किसे संबोधित करना चाह रहे थे । इस प्रश्न का उत्तर अब हमें नही मिल पायेगा । परन्तु यह हमारे लिये चुल्लु भर पानी में डूब मरने वाली बात है स्वातं़त्र भारत का पहला भाषण अंग्रजों की भाषा हुआ था । कितने भारतीयों को उनका यह भाषण समझ में आया होगा । यह आंकडे अब उपलब्ध नही हो पायेगें ।  मेरा मूल प्रश्न यही क्या पडिण्त  नेहरू  स्वातं़त्र भारत का पहला भाषण अंग्रजों की भाषा में देना चाहिये था ? उन्होने क्यों प्रथम भाषण के लिये किसी अपनी स्वदेसी भारतीय भाषा का चयन नही किया । पडिण्त  नेहरू   ने भारत को सांस्कृतिक रूप से गुलाम बनाने कि प्रकिया प्रारंभ कर दी थी । आज अंग्रजी भाषा हमसे चिपक गयी है ।


अंग्रजी भाषा बोलना एक स्टेटस सिम्बोल बन गया है । वर्तमान यू0 पी0 ए0 सरकार ने तो अंग्रेजी भक्ति की हद ही कर दी जब आ0ए0एस0 प्रशासनिक सेवा से भारतीय भाषाओं का हटा दिया । सारी शिक्षा पद्धति एवं अन्य महत्व पूर्ण सरकारी कार्य अंगेजी में ही होते है । और हमारा भारत इंडिया के आगे हारता सा दिखता है । राज ठाकरे जी ने हिन्दी के विरोध में आंदोलन चलाया ।  दुकानों से हिन्दीे के बोर्ड हटवा दिये। और मराठी एवं अंग्रजी के के बोर्ड लगाने के लिय मजबूर किया । परन्तु कार्य अगर वह मराठी और हिन्दी या किसी दूसरी भारतीय भाषाओं के लिये यह आंदोलन करते तो आपको श्री लोकमान्य तिलक एवं वीर सावरकर की आत्मा भी सच्चा देश भक्त स्वीकार करती । जो द्वेष आपने हिन्दी या भारतीय भाषाओं के लिये दिखाया वह आपको अंग्रजी के प्रति दिखाना चाहिये था।


मै पडिण्त  नेहरू के द्वारा स्वातं़त्र भारत का पहला भाषण अंग्रजी मे दिये जाने की आज 67 वर्षो बाद घोर निन्दा करता हूॅ । पडिण्त  नेहरू ने भाषण की भाषा के चुनाव बहुत अपरिपक्व निर्णय लिया था । पडिण्त  नेहरू एक ने ऐसी भाषा को चुना जिसे भारतीय न समझ पाये । पीडा होती है यह जानकर की पडिण्त  नेहरू ने भारत की प्रथम भाषा अंग्रजी को माना है । उनका प्रथम भाषण यही दर्शाता है । उन्होने एक गलत परंपरा को  प्रारंभ किया और उसे वर्तमान भारत भोग रहा है ।

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