वर्तमान में सरदार पटेल के लिये चल रही बहस से भारतीय जनता का बहुत ही लाभ है । मै जब बच्चा था तो कई बार सोचता था कि सरदार पटेल को लौह पुरूष क्यों कहते है । मुझे पता ही न चला कि बात क्या थी कोई बताने वाला भी न था जो बता सके कि क्यों ा सरदार जी को लौह पुरूष कहा जाता हैं। इस बार नरेंद्र मोदी जी ऐसे विषय को उठाया है जिससे जनता को इतिहास के पन्नों मे झाकने का अवसर मिला है । सरदार पटेल देश के वर्तमान चाणक्य है जिन्होने देश की अखंडता एवं एकता को सबसे उपर रखा । उन्होने कभी भी जवाहर लाल की तरह यूरोप की ओर नही देखा एवं यूरोप के अनुसार काम भी नही किया । उन्होने ऐसा देश बनाया जो कि अंग्रेजोें की कल्पना से बाहर था ।
अंग्रेज इसे यूरापियन युनियन के समान टूटा फूटा बनाना चाहते थे । इस कार्य कि लिये उन्होने जवाहर लाल नेहरू जैसे मस्तिष्क विहीन नेता की आवश्यकता थी जो कि स्वयं निर्णय न ले सकें । और वह बहुत सीमा तक सफल भी हुऐ । परन्तु सरदार पटेल के सामने न तो जवाहर लाल नेहरू की चली न तो अंग्रेजो की । जवाहर लाल एवं नेहरू बस अपनी योजनाओं को कागजो पर ही बना पाये । बहुत दुख की बात है कि सरदार पटेल स्वतंत्रता के बहुत दिनो बाद तक जीवित नही रह पाये। जीवित रहते सरदार पटेल ने जवाहर लाल को बार बार चीन के खतरनाक मंतंव्य के बारे में चेतावनी दी परन्तु जवाहर लाल का समय शेरवानी में गुलाब फूल लगाते एवं पेरिस से कपडे धुलवाने में ही निकल गया और हमें चीन के हाथो परास्त होना पडा ।
सरदार पटेल ही वास्तव में ऐसे नेता थे जो महात्मा गांधी की सभी नीतियों को लागू कर सकते थे । सभी जानते थे कि जवाहर लाल में वह भावना नही है जो भारत को स्वराज एवं सुशासन दे सके । सरदार पटेल को सदैव कांगे्रस ने उपेक्षित ही किया है । और आज जब कांगे्रस का धुर विरोधी उनका नाम आगे ला रहा है तो कांगे्रस नेताओ की छटपाटाहट देखते ही बनती है ।
कांगे्रस अपने एक और महापुरूष लाल बहादुर शास्त्री को भी भूल गई है । उसे समय रहते लाल बहादुर शास्त्री को भी सम्मान दे देना चाहिय अन्यथा बाद में आरोप लगाने के अतिरिक्त और कोई उपाय न रह जायेगा । लाल बहादुर शास्त्री के प्रति सदैव देश के पीढियां सम्मान की भावना से देखेगी । लाल बहादुर शास्त्री नेता कांग्रेस में थे इसिलिये पहला अधिकार कांग्रेस का बनता है । सरदार पटेल एवं लाल बहादुर शास्त्री को कांगे्रस ने अनाथों समान व्यवहार किया है । जैसे इन नेताओ भारत के लिये कोई योगदान ही नही दिया है ।
इसके अन्यंत्र और भी कई महापुरूष है जिनके नाम आजादी के बाद भारत को स्मृति करने चाहिये थे एवं उनके परिवारो को त्याग कि लिये सम्मान करना चाहिये परन्तु बहुत त्यागी पुरूषों के परिवार तो गरीबों से हाल बेहाल होकर विलुप्त हो चुके है । भारत की सरकारों ने कभी भी इन परिवारों को याद करने की आवश्यता नही समझी । वर्तमान पीढी के नेता तो जवाहर लाल नेहरू से भी सौ कदम आगे है जदयू के किसी नेता ने तो सीमा पर शहीद के त्याग को ही व्यर्थ कर दिया एवं कह दिया कि सेना में तो लोग मरने कि लिये ही जाते है । इन्ही सैनिको के कारण नेता जी आप भारत में सुरक्षित भोजन कर पाते है नही ंतो पाकिस्तानी सेना के किसी सैनिक की गोली खाकर न जाने किस लोक में भ्रमण कर रहे होते क्योकि स्वर्ग तो आपको पक्का नही मिलेगा ।
सरदार पटेल तो मात्र एक प्रतीक है उन हजारों हजार शहीदों जिन्होने कभी देश के लिये अपना सर्वस्व त्याग दिया है । यदि कांग्रेस पहले से ही इन्हे यह सम्मान देती तो शायद आज नरेन्द्र मोदी के पास जवाहर लाल नेहरू के प्रति कुछ कहने को न होता ।
No comments:
Post a Comment