Monday, November 4, 2013

अध्याय तृयादशः - खर्राटे का खर्च

गौपाल जैसे ही सवेरे गाॅव का निरीक्षण करने  कि लिये निकला । कोयल की मधुर सुर सुनाई देने की अपेक्षा हो रही थी । परन्तु प्रत्येक ग्रहो में से आवाज आई खर्र खर्र, घर्र घर्र गौपाल को लगा जैसे कोई दैत्य लोगो के घरो मे घुस गया हो । सूर्योदय होने पर 

गौपाल प्रजा सेः आप लोगो के घर से प्रातः खर्र खर्र, घर्र घर्र की आवाज आ रही थी। क्या आपके घरो मे कोई दैत्य घुस आया है ।

प्रजाजनः प्रिय राजकुमार गौपाल यह दैत्य नही है । यह खर्राटे है जो सोते समय आते है ।

गौपालः यह आवाज तो बडी भयावह है ।

प्रजाजनः अरे बहुत दवाईयां करवा चुके है परन्तु इसका समाधान नही निकला अतः अब इलाज करना छोड दिया एवं खर्राटे के साथ जीवित है ।,

गौपालः इसका क्या कारण आप लोग जानते है ।

प्रजाननः नहीं । चर्चा समाप्त हो गई ।

गौपाल: ठीक है भाईयों में प्रस्थान करता हॅू । गौपाल सुचिकित्सा के पास जाता है एवं सुचिकित्सा को आदेश ढूढ कर बताऐ ।


सुचिकित्साः राजकुमार जी मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता पडेगी ।

गौपालः अवश्य ।

सुचिकित्साः अब हम दोनो मिलकर कुछ पुस्तको का अध्ययन करना होगा  जिससे हमें समस्या का समाधान मिलेगा ।

 दोनो पुस्तको में उपाय ढूढने लगते है

सुचिकित्सा को इसका बडा ही सरल उपाय मिला एवं गांव वालो को गौपाल द्वारा उपाय बताया गया । 

सुचिकित्सा 

1. मिट्टी के बर्तन में गाय का शुद्ध दूध को जमाकर दही बनावे ।

2. दही को लकडी की मथानी से मिट्टी के पात्र मे रखकर मथें एवं उसका मक्खन निकाले ।

3. फिर लोहे की कडाई में रखकर उसका घी निकाले ।

4. इस घी को सोते समय नाक में डाले । यह घी न ही अधिक गर्म एवं न ही अधिक ठंडा होना चाहिए ।

5. यह विधि सोने से पहले तीन दिन तक दोहरावे।

प्रजाजनों ने गौपाल की बात को बडे ही ध्यान से सुना एवं उसका आचरण किया । ऐसा करने पर प्रजाजनो को 60 प्रतिशत तक लाभ हुआ एवं कई लोगो के खर्राटे छूट गये । इस प्रकार लोगो के नेजर का खर्चा गौपाल ने बचाया । नेजर की कीमत 50-100 रू होती है । एवं नेजर करने के बाद नाक के आपरेशन करने की समस्या सामने आती है । नेजर नाक में सूखापन बडा देता है । कृपया खर्राटे से निपटने के लिये नेजर का प्रयोग न करें ।

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