Monday, November 4, 2013

अध्याय द्वादस - गौपाल को आशीष वचन

गौपाल अब युद्ध के लिये कमर कस चुका है । परन्तु यह युद्ध तलवारो द्वारा नही लडा जाना है । यह युद्ध लडा जाना है दृढ संकल्प द्वारा । जो केवल धैर्य एवं बुद्धि विवके के सही प्रयोग द्वारा ही जीती जा सकती है । गौपाल ने सर्वप्रथम अपने माता पिता से आशीष लिया,  मुनिवर कपित से आशीष लिया, विघ्नहर्ता श्री गणेश जी से आशीष लिया । 

इस जगत के पालन हार ब्रम्हा, विश्नु एवं शिव से आशीष प्राप्त किया । जगत जननी माता सरस्वती, लक्ष्मी एवं मां पार्वती जी का शीष झुकाया है । सभी देवो ने गौपाल को विजय का आर्शीवाद दिया । और कहा पुत्र

                                                 गावौ विश्वस्य मातरः
                                             गाय सारे विश्स की माता है !

यदि आपने यह सिद्ध कर लिया तो विश्व की कोई सिद्धी, प्रसिद्धी, धन, ऐश्वर्य आपसे दूर न रह पायेगा । माता एवं पिता ने आशीष दिया कि गौपाल को विजय प्राप्त हो ।



इस सूचना के प्राप्त होते ही आंग्ल देश के वर्तमान राजा, गुप्तचर सतर्क हो गये । और गौपाल की परीक्षा समय समीप आ गया । 

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