प्रिय मित्रों,
आषीश के विवाह के बाद मेरा लक्ष्य मनीश सनोडिया की षादी मे उपस्थिति देना था । मेरी टेन जबलपुर से सुबह 12 बजे थी । मैने समान्य टिकट लिया और मै भोपाल के लिये निकल पडा । दो घंटे की यात्रा मुझे खडे खडे करनी पडी जो बहुत कश्ट दायक रही । संध्या को साढे छ बजे मै भोपाल पहुच गया बारात लग चुकी थी । वहाॅ पर मुझे हेमंत गुर्दे मिला जिसे मै पहचान नही पाया क्योंकि वह मोटा एवं बिना मुॅंछ का हो चुका है । वहीं मुझे डाॅं विवेक मिला जो हमारे साथ मे रहता था । मिलकर अत्यंत प्रसंन्नता हुई । दो . दो जाम लगने के बाद हम लोग बारात स्थल की ओर चल पडे, साथ मे मनीश के अन्य मि़त्र भी थे ।
लगभग दो घंटे नाचने के बाद काफी थकान हो चुकी थी । मश्तिश्क ने कार्य करना बंद कर दिया था । मुझे काॅलेज के दिन याद आ गये । स्वागत होने के बाद मनीश की खिल्ली उडाने का दैार चलता रहा । अब जयमाला का समय पास आ चुका है और भाभी जी ने हमारी जगह ले ली है । स्टेज पर मनीश बहुत डरा हुआ जान पड रहा है । मनीश और भाभी की उचाई एक जैसी है इसलिये जयमाला मे काई अडचन नही हुई ।
मै, हेमंत और अन्य मित्र स्टेज से उतरकर पेट पूजा के लिये निकल पडे । खाने मे दाल, चावल, रोटी, पुडी, फलकी, मंगाडे, जलेबी, गुलाब जामुन, आइस क्रीम थे । मेने मा़त्र रोटी, चावल, दाल एवं जलेबी खायी । मनीश एवं भाभी खाने के लिये आ चुके थे । मनीश ने भाभी को मात्र आधा गुलाब जामुन खिलाया जिसका मुझे बहुत दुख है ।गुलाब जामुन खिलाते समय मनीश के हाथ कप रहे थे । वह ऐसे बैठा था जेसै दूध का धुला हो ।
इसके पश्चात भाभी चली गयीं । मनीश भी वस्त्र परिवर्तन के लिये जा चुका था ।
मेरे, हेमंत, डाॅं विवेक के बीच पुरानी बातें याद की गई । मनीश वापस आ गया था । लगभग दो बजे थे । हम लगभग एक घंटे साथ रहे । मनीश अन्य कार्यक्रमो के जा चुका था । हम सभी ने लगभग दो घंटे सो कर बिताये । मुझे , हेमंत, डाॅं विवेक की टेन थी । हम वापस अपने घरों की ओर निकल पडे । अनुभव बडा ही सुखद रहा ।
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