भारत में वर्तमान सपूतों ने पैसों के लिये देश को बेचने की कसम सी खाली है । अभी भारत में दो बडी जनसंख्या की गणनाये हुई है । पहली भारत सरकार द्वारा जनगणना, दूसरा नंदन निलेकणी के द्वारा आधार कार्ड के लिये की जा रही असंवैधानिक जनगणना । बुद्धिहीन मनमोहन सिह जो भारत के प्रधानमंत्री बन गयें है, पद छोडते छोडते भारत माता का पूरा खून चूंस कर ही प्रधानमंत्री पद छोडेगें उन्हे भारत का इतिहास सदैव जवाहर लाल नेहरू के जैसे हेय की दृश्टि से ही देखेगा। एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसकी भारत में कोई भी सम्मान नही रहेगा । उसकी प्रसंषा केवल यूरोप, अमेरिका, चीन जैसे देश ही करेगें जिन्हे इन्होने जानबूझकर अथाह लाभ पहुंचाया है ।
आज तक मैने मनमोहन सिंह की कभी इतनी कडी निंदा नही की परन्तु आज 19/जन0/2014 का दैनिक भास्कर जबलपुर संस्करण में जब खबर छपी की विश्व में सबसे बडी लैक्टेल फांसिसी कम्पनी ने भारत की तिरूमला डेयरी को खरीद लिया है तो मुझे अपने क्रोध पर नियंत्रण न रह सका एवं मैने सवेरे मनमोहन सिंह को कौसने का मन बना लिया।
अब विचार यह आता है अगर तिरूमला डेयरी बिकी तो मै मनमोहन सिंह को क्यों कौस रहा हूॅ । कारण साफ है उनके द्वारा किये जा रहे सर्वे विदेश कम्पनियों के द्वारा व्यापारिक उद्देष्यों की पूर्ति के लिये उपयोग किये जा रहे है । जैसा कि हम सभी जानते है कि आधार कार्ड के लिये संयोजित किया हुआ डेटा सी0आ0ए0 द्वारा चलाई जाने वाली संस्था को क्यू आर्म को बेच दिया है । अब अमेरिका की सरकार भारत के असंगठित एवं छोटे उद्धयोगो पर हमला करने के लिये तैयार है जिसका आधार यही सर्वे/जनगणनायें है । इसके लिये हमारे देश के ईमानदार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण सहायता की है ।
यह भारत के दूध उद्धयोग के लिये प्रथम आक्रमण के रूप में देखा जाना चाहिये जिसमें भारत की मनमोहन सरकार लैक्टेल फांसिसी कम्पनी के साथ खडी होगी । दैनिक भास्कर में इसका आंकडा दिया हुआ है कि भारत साल भर में चार लाख करोड दूध का व्यापार करता है जो कि 16 प्रतिशत की दर से प्रति वर्ष बड रहा है । यह दूध को व्यापार भारत के हर एक व्यक्ति से जुडा हुआ है । यह भारत में स्वावलंबन, स्वारोजगार एवं आर्थिक स्वायत्ता का केंद है । यह हजारो लोगो के स्वारोजगार एवं स्वतंत्रता को केवल एक या बहुत सारी रावण जैसी कम्पनीयों के अंतर्गत लाकर दूध व्यापार पर नियंत्रण करने का प्रयत्न होगा जो जीवन दायिनी दूध को मूल्’य को उनके अनुसार नियंत्रित करेगें । मै इस सौदे से बहुत ही चितिंत हू ।
यह सौदा देश की अस्मिता पर आक्रमण है । दूध के प्रति भारत का प्रेम लाखों, हजारों वर्ष पुराना है । यह वह भारत है जहां गायों के लिये कितने बडे बडे युद्ध हुऐ । श्री कृश्ण ने सारा जीवन दूध एवं गाय के लिये समर्पित कर दिया । भगवान शिव का अभिशेक दूध से होता है । मां अपने पुत्र या पुत्री को जीवन दायिनी दूध पिलाती है । लाखों एवं करोडों पकवान दूध से बनते है । जीवन के प्रारंभ होने से अतिंम एवं मरने के बाद भी दूध का महत्व प्राणी के लिय कम नही होता है । ऐसे दूध की एक भारतीय संस्था को कोई विदेश कम्पनी खरीद ले तो यह वास्तव में चिंता का विषय है ।
मेरा यह अनुरोध रहेगा कि भारत वासियो को दूध की स्वयत्ता बचान के लिये आंदोलन करना चाहिये । वर्तमान सारे कर्मचारियों एवं सम्पूर्ण देश के दूध व्यापारियों को तिरूमला डेयरी के इस सौदे का विरोध करना चाहिये । परन्तु यदि हम ऐसा नही करते है तो पुन मुझे श्रारत की अस्मिता खतरे में लगती दिख रही है । भारत के सभी दूध संस्थानों को संगठित होकर इस कम्पनी को देश बाहर फेंक देना चाहिये । अब समय आ गया है कि हम एकत्रित होकर भारत के दुष्मानों का सामना करें अन्यथा यह युद्ध भारत असंठन के कारण बडी ही आसानी से हार जायेगा एवं हमारी आने वाली पीडियो इन्ही अंगेजों, फ्रांससियो एवं अमेरिकनों की गुलाम बनी रहेगी ।
यह जो डेटा इन अमेरिकी कम्पनियों को भारत सरकार ने बेचा है यह भारत के निवासियों के लिये बहुत ही दुश्कर परिणाम लाने वाली है । यह इन बडे देश को भारत के आर्थिक वातावरण को समझने, नीतियां बनाने में सहायता करेगी वरन भारत के उद्योग धंधो को नश्ट करने में भी सहायता करेगी । अगर इसी प्रकार भारत सरकार भारत के नागरिको का सौदा करती रही तो भारत पुन परतंत्र हो जायेगा ।
"अब कान्हा के देश मे फांस की कम्पनी दूध बेचगी"
मनीश भाई इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिये धन्यवाद, मेरे विचार से हमे ये सुनिश्चित करना होगा कि धन ज्यादा महत्वपूर्ण है अथवा देश |
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