यह भारतीय दृष्टि से काफी कठिन कार्य है । यदि पाठशाला शिक्षा की बात की जाये तो यह कार्य और भी कठिन हो जाता है। क्योंकि यही वह शिक्षा है जो किसी के भी जीवन में बहुत अधि प्रभाव डालती है। इस कई प्रकार के मत चलते है । मै अपने कुछ समस्याओं को पहले पटल पर रखना चाहता हूॅ ।
1. भारत में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण रूप से व्यवसायिक हो चुकी है। यह केवल पाठशालाओ द्वारा व्यवसायिक नही की गई है बल्कि माता एव ंपिता के द्वारा व्यवसायिक की जा चुकी है।
2. भारतीय प्राथमिक स्तर की शिक्षा बहुत महंगी एवं अनुपयागी भी हो चुकी है।
3. उत्तम प्राथमिक शिक्षा के नाम पर छोटे छोटे बच्चो की वर्तमान नष्ट किया जा रहा है ।
4. गरीब एवं मध्यम वर्ग जो पढाई को महत्वपूर्ण मानते है उनकी पहुच से प्राथमिक शिक्षा बाहर होती जा रही है ।
5. प्राथमिक स्तर के छोटे छोटे छात्रों को उत्तम शिक्षा के नाम पर उनके घरो से बहुत दूर दूर पढने भेजा जाता है जिस कारण उनका बचपन एक मशीनी एवं बहुत अच्छा कृतिम एवं भावना रहित हो चुकी है ।
6. प्राथमिक शिक्षा में किसी भी प्रकार की स्वाथ्य से संबंधित कोई भी प्रकार जानकारी नही दी जाती है । जो बहुत ही दुखद है।
7. प्राथमिक शिक्षा में किसी भी प्रकार की यातायात से संबंधित कोई भी जानकारी नही दी जाती है।
8. प्राथमिक शिक्षा से महंगी महंगी कापी पुस्तको का प्रचलन अत्यंत दुखकारी है ।
9. प्राथमिक शिक्षा के स्कूलों का समय भी बहुत ही दुखकारी है। किसी भी विज्ञान के अनुसार बच्च के मानसिक विकास के नींद आवश्यक होती परंतु सुबह पाठशाला होने के कारण यह नही हो पा रहा है।
10. प्राथमिक स्तर पर बच्चो पुस्तकें निजि स्कूलो द्वारा स्वयं निश्चित की जा रही है जो कही से परिवेक्षित नही की जाती है।
11. प्राथमिक शिक्षा से ही बच्चों को उत्तम शिक्षा के नाम टीवी में आने वालेे सिरिलय आदि के प्रश्न पूछ जाते है जो कि अशाभनीय है ।
12. प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर किसी प्रकार की वर्तमान में घटित देश प्रेम से संबंधित घटनाओं वर्णन नही मिलता है।
अब कुछ समस्ओ के साथ में अपने सुझाव रखता हूॅ
1. प्राथमिक शिक्षा का केवल देश व्यापी एक बोर्ड होना चाहिए।
2. प्राथमिक शिक्षा केवल सरकारी स्कूलों में ही पढाई जानी चाहिए। ताकि इसके व्यवसायी करण पर राक लग सके।
3. प्राथमिक शिक्षा में केवल कर्मठ एवं शिक्षक ही लाने चाहिए उनकी समीक्षा भी होते रहना चाहिए उन्हे अयाग्य पाये जाने पर हटा देना चाहिए।
4. प्राथमिक शिक्षा में केवल स्लेट एवं चाक का प्रयोग होना चाहिए।बच्चो का मौखिक ज्ञान एवं रचनात्मकता पर अधिक ध्यान होन चाहिय न की उसक अंको पर।
5. पूरे देश में एक की प्रकार का पाठयक्रम होना चाहिए ताकि पाठशाला बदलने पर बच्चों को किसी प्रकार कोई असुविधा न हो ।
6. जो बच्चे प्राथमिक से माध्यमिक में जा रहे है केवल योग्य ही हों एवं इस स्तर पर यदि कोई बच्चा असफल होता है तो उसके जीवन इसका कोई भी प्रभाव/नौकरी आदि में नही आना चाहिए।
7. बच्चो की शिक्षा से कम्प्यूटरी करण हटा देना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे की तर्क शक्ति पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पडता है । यह बात विज्ञान भी स्वीकार करता है ।
8. भारत बहु भाषीय देश है इसिलिए मातृभाषा के अतिरिक्त उसे अपने देशी एक अन्य भाषा का अध्धयन भी इसी प्राथमिक शिक्षा में होना ही चाहिए ताकि उसमें देश अन्य हिस्सो संास्कृतिक जानकारी हो सके एवं उस विशेष क्षेत्र अपनत्व की भावना भी उत्पन्न हो ।
9. प्राथमिक पाठशालाओं का समय 10 बजे के बाद हो ताकि बच्चे रचनात्मक कार्याे के लिये बहुमूल्य सुबक का आनंद ले सके ।
10. जैसे बर्तमान मध्यप्रदेश में गर्मियों में भी पाठशलाऐ लगायी जाती एवं पाठशला समाप्त होने स्कुलो द्वारा बहुत अधिक ग्रह कार्य दे दिया जाता है जिससे का रचनात्मक एवं मानवता का पहलु बिलकुल समाप्त हो गया ।
1. भारत में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण रूप से व्यवसायिक हो चुकी है। यह केवल पाठशालाओ द्वारा व्यवसायिक नही की गई है बल्कि माता एव ंपिता के द्वारा व्यवसायिक की जा चुकी है।
2. भारतीय प्राथमिक स्तर की शिक्षा बहुत महंगी एवं अनुपयागी भी हो चुकी है।
3. उत्तम प्राथमिक शिक्षा के नाम पर छोटे छोटे बच्चो की वर्तमान नष्ट किया जा रहा है ।
4. गरीब एवं मध्यम वर्ग जो पढाई को महत्वपूर्ण मानते है उनकी पहुच से प्राथमिक शिक्षा बाहर होती जा रही है ।
5. प्राथमिक स्तर के छोटे छोटे छात्रों को उत्तम शिक्षा के नाम पर उनके घरो से बहुत दूर दूर पढने भेजा जाता है जिस कारण उनका बचपन एक मशीनी एवं बहुत अच्छा कृतिम एवं भावना रहित हो चुकी है ।
6. प्राथमिक शिक्षा में किसी भी प्रकार की स्वाथ्य से संबंधित कोई भी प्रकार जानकारी नही दी जाती है । जो बहुत ही दुखद है।
7. प्राथमिक शिक्षा में किसी भी प्रकार की यातायात से संबंधित कोई भी जानकारी नही दी जाती है।
8. प्राथमिक शिक्षा से महंगी महंगी कापी पुस्तको का प्रचलन अत्यंत दुखकारी है ।
9. प्राथमिक शिक्षा के स्कूलों का समय भी बहुत ही दुखकारी है। किसी भी विज्ञान के अनुसार बच्च के मानसिक विकास के नींद आवश्यक होती परंतु सुबह पाठशाला होने के कारण यह नही हो पा रहा है।
10. प्राथमिक स्तर पर बच्चो पुस्तकें निजि स्कूलो द्वारा स्वयं निश्चित की जा रही है जो कही से परिवेक्षित नही की जाती है।
11. प्राथमिक शिक्षा से ही बच्चों को उत्तम शिक्षा के नाम टीवी में आने वालेे सिरिलय आदि के प्रश्न पूछ जाते है जो कि अशाभनीय है ।
12. प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर किसी प्रकार की वर्तमान में घटित देश प्रेम से संबंधित घटनाओं वर्णन नही मिलता है।
अब कुछ समस्ओ के साथ में अपने सुझाव रखता हूॅ
1. प्राथमिक शिक्षा का केवल देश व्यापी एक बोर्ड होना चाहिए।
2. प्राथमिक शिक्षा केवल सरकारी स्कूलों में ही पढाई जानी चाहिए। ताकि इसके व्यवसायी करण पर राक लग सके।
3. प्राथमिक शिक्षा में केवल कर्मठ एवं शिक्षक ही लाने चाहिए उनकी समीक्षा भी होते रहना चाहिए उन्हे अयाग्य पाये जाने पर हटा देना चाहिए।
4. प्राथमिक शिक्षा में केवल स्लेट एवं चाक का प्रयोग होना चाहिए।बच्चो का मौखिक ज्ञान एवं रचनात्मकता पर अधिक ध्यान होन चाहिय न की उसक अंको पर।
5. पूरे देश में एक की प्रकार का पाठयक्रम होना चाहिए ताकि पाठशाला बदलने पर बच्चों को किसी प्रकार कोई असुविधा न हो ।
6. जो बच्चे प्राथमिक से माध्यमिक में जा रहे है केवल योग्य ही हों एवं इस स्तर पर यदि कोई बच्चा असफल होता है तो उसके जीवन इसका कोई भी प्रभाव/नौकरी आदि में नही आना चाहिए।
7. बच्चो की शिक्षा से कम्प्यूटरी करण हटा देना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे की तर्क शक्ति पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पडता है । यह बात विज्ञान भी स्वीकार करता है ।
8. भारत बहु भाषीय देश है इसिलिए मातृभाषा के अतिरिक्त उसे अपने देशी एक अन्य भाषा का अध्धयन भी इसी प्राथमिक शिक्षा में होना ही चाहिए ताकि उसमें देश अन्य हिस्सो संास्कृतिक जानकारी हो सके एवं उस विशेष क्षेत्र अपनत्व की भावना भी उत्पन्न हो ।
9. प्राथमिक पाठशालाओं का समय 10 बजे के बाद हो ताकि बच्चे रचनात्मक कार्याे के लिये बहुमूल्य सुबक का आनंद ले सके ।
10. जैसे बर्तमान मध्यप्रदेश में गर्मियों में भी पाठशलाऐ लगायी जाती एवं पाठशला समाप्त होने स्कुलो द्वारा बहुत अधिक ग्रह कार्य दे दिया जाता है जिससे का रचनात्मक एवं मानवता का पहलु बिलकुल समाप्त हो गया ।
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