आज समाचार में देखा कि अकबर के नाम से महान शब्द हटा लिया गया है। एवं महारणा प्रताप के महान शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। यह निर्णय राजस्थान बोर्ड के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने लिया है। इसके साथ उन्होने यह निर्णय लिया है कि पुस्तकों में आर्यभटट एवं भास्कराचार्य के बारे में भी पढाया जायेगा। इसके पश्चात् कुछ लोग पाते मचाये गये कि पाठयक्रम का भगवाकरण किया जा रहा है। अगर सही इतिहास पढाना भगवाकरण है तो भगवा करण अवश्य होना चाहिए क्योंकि यह शिक्षा के अंग्रेजी करण से बहुत अच्छा है। अगर सरकार द्वारा कोई सही निर्णय लिया गया है कोई मीडिया इसे गलत संदर्भ में दिखाती है तो समझ लें कि अब समाचार पत्र या चैनल के दिन भर आयंे है । क्योंकि अब वह समय नही रह गया कि आप समाचार चैनलों में कुछ भी दिखाते रहे और आम जन उसे स्वीकार कर लेगें। इस बात को यही छोडते है।
राजस्थान सरकार इस निर्णय को साम्प्रदायिक कहना बहुत बडी मूर्खता होगी क्योकि इतिहास में महाराण प्रताप का स्थान अकबर से बहुत बडा है। अकबर भले दिल्ली का शासक रहा हो परंतु उसने भारत में रहने वाली आम जनता को युद्ध में जीतने के बाद प्रताडित भी किया है। सुनने में तो यह भी आया है कि तानसेन, बीरबल आदि उनका बदलकर मुस्लिम बनना पडा तब कही जाकर उन्हे अकबर के दरबार में स्थान मिला । अगर अकबर को संधि करनी ही थी विभिन्न रानियों विवाह क्यों किया । वह बहन मानकर भी संबंध बना सकता था । जैसे उसके पिता हुमायू ने किसी हिन्दू रानी को अपनी बहन माना एवं उनकी रक्षा के लिये वहां गये भी थें । दूसरा महाराणा प्रताप से युद्ध जीतने के अकबर ने 10000 आम जनका की हत्या की जो कि वर्तमान में युद्ध अपराध के नाम से जाना जाता है तो फिर इतने बडे युद्ध अपराधी को महान कैसे कहा जा सकता है। यह तो इतिहास कारों द्वारा बडा निराशा जनक विश्लेषण जान पडता है।
दूसरा भाग जो कि वर्तमान में कुछ लोगों की आंखो में चुभ रहा है कि न्यूटन को क्यो नही पढाया जा रहा है तो भाई जब साक्ष्य मिल चुके है कि केल्कुलस न्यूटन के जन्म से पांच सौ वर्ष पहले भारत में उपयोग कर रहे थे तो यह सिद्ध करने की आवश्यकता ही नही है कि केल्कुलस न्यूटन से पहले ही आ चुका है । अब मुझे यह तर्क समझ में नही आता है कि इसमें भगवाकरण कहां है। यह निहित परिवर्तन है जो नई खोजो अनुसार परिवर्तित किया जा रहा है। मुझे नही लगता कि इसमें कोई भी राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि अभी कहीं भी चुनाव नही चल रहें ।
मुझे तो बडा आश्चर्य हो रहा है कि मध्य प्रदेश, छश्तीसगढ, गुजरात आदि क्षेत्र क्यो अभी तक सो रहें है। इन्हे भी यह परिवर्तन कर लेना चाहिए। परंतु इन क्षेत्रों के नेता अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से उपर ही नही उठ पा रहे है । उन्हे तो बस शिवराज सिंह चैहान या रमन सिंह के नाम का पोस्टर उचा करना है। देश या समाज हित में सोचने के लिये उनके पास समय ही नही है।तभी तो इतने वर्षो से शिक्षा नीति में कोई भी परिवर्तन नही हुआ है। इस बात के लिए मेै मध्य प्रदेश सरकार की कडी आलोचना करता हूॅ।
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