भारत देश वेवजह ही क्रिकेट के लिये दिवाना है । परतु सत्य यह है कि क्रिकेट को जितना समर्पण भारत के युवाओं ने दिया है उतना किक्रेट इस देश का लौटा नही पाया है । इस वर्ष 2015 में भारत विश्व कप में आस्टेलिया से हार गया । समाचार पत्रांें एवं समाचार चैलनों वेवजह ही विषय को महत्व दिया है । यह भारत के युवाओं के साथ छल है । क्योंकि क्रिकेट में हारना हमारें लिये आत्म सम्मान की बात नही है परंतु क्यों, क्योंकि जो टीम वल्र्ड कप में खेलती है वह भारत देश के लिये नही, बीसीसीआई नाम की व्यक्तिगत संस्था के लिय खेलती है । यह बात स्वयं बीसीसीआई उच्चन्यायालय में हलफनामा दायर कर कही है ।
भारत विश्वकप में हार गया उसका दोषी विराट कोहली एवं अनुष्का शर्मा ठहराया गया जो कि गलत है। भारत विश्वकप में हार गया है और समाचार पत्रांें एवं समाचार चैलनों ने उसे राष्टीय शौक के रूप दर्शाया गया । जो कि केवल और केवल भारतीय समाचार चैलनों की तुच्छ हरकत के रूप में ही देखा जा सकता है । क्योंकि यह आम घटना है ।
जिस दिन किकेट विश्वकप में आस्टेलिया ने न्यूजी लैड को हराया उसी दिन भारतीय इतिहास में दोबडी घटना हुई । जो भारतियों को आत्म सम्मान से ओतप्रोत कर देती है । सायना नेहवाल एवं श्रीकांत ने दो बडी खिताबी जीत प्राप्त की । सभी समाचार पत्रों एवं न्यूज चैलनों ने इस विजय को समान्य विजय भी नही बताया । यह समाचार एक लाईन में बताकर समाप्त कर दिया ।
मैने दैनिक भास्कर में खेल सेक्सन देखकर तो में दंग रह गया । आस्टेलिया एवं न्यूजी लैड जानकारी पहले छपी थी, बहुत विस्तृत में छपी थी। एवं सायना नेहवाल एवं श्रीकांत को समाचार पत्र में बहुत ही कम स्थान दिया गया था । दो विदेशी टीमों के बीच में खेला गया एक किकेट मैच भारतीय प्रतिभाओें सायना नेहवाल एवं श्रीकांत द्वारा बेडमिंटन में प्राप्त इस अभूतपूर्व सफलता का बराबरी कर सकता है । तो फिर दैनिक भास्कर या अन्य समाचार पत्रों को भारतीय लोगों की भावनाएं आहत करनें का अधिकार किसने दिया उन्हे । क्या उनका मन भारतीयांे की इस विजय को छोटा मानता है । मेरा और आत्मा समाचार पत्रों के इस प्रकार के थोथेपन से दुखी है ।
यह भारत के लिये बहुत दुख की बात है ।
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