Friday, November 14, 2014

Rahul Gandhi English Prema

     इस विषय पर मै चर्चा के लिये  सदैव तत्पर रहता हूॅ । 13 नवंबर 2014 को राहुल गांधी जी नेे वक्तव्य में कहा कि वर्तमान सरकार (मोदी सरकार) अंग्रजी से  नफरत करती है साथ ही हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं से प्रेम करती है । उन्होने ने ऐसा कहते समय अपने परिवार के पूर्व प्रधानमंत्री प0 जवाहर लाल नेहरू को भी इस भाषण में घसीटने में कोई कसर नही छोडी है । उन्होने कहा प0 नेहरू अंगे्रजी के समर्थक थें । इसलिये राहुल उनके पद चिन्हो पर चलते हुऐ अंगे्रजी भाषा का समर्थन कर रहे है । उनके कहने यह यह मतलब है प0 नेहरू हिन्दी के साथ भारतीय भाषाओं का विरोध करते थे ।

   मैन इस विषय पर एक ब्लाग लिखा था कैसे प0 नेहरू ने भारत के स्वतंत्रता दिवस में पहला भाषण अंग्रेजी भाषा में देकर भारत में बोली जाने वाली 1000 से भी अधिक भाषाओं का अपमान किया एवं सम्पूर्ण देश को शर्मशार कर दिया था । वह भाषण के लिये तेलगू, तमिल , हिन्दी , मराठी आदि किसी भी भाषा का चयन कर सकते थे परन्तु वह अंग्रजों की चाल में फंसकर एवं अंतरराष्टीय नेता बनने के स्वार्थ में पहला भाषण अंग्रेजी भाषा में दे बैठे । इस कारण भारत में अधिकतर आबादी इसे समझ भी नहीं सकती थी ।

    राहुल गांधी का अंग्रेजी प्रेम बडा ही दुख पहुचाने वाला है । वह इस प्रकार से ब्रिटेन के पक्के चमच  के रूप में दिखाई दे रहें है । जो भारत में अंग्रेजी भाषा को विज्ञान की भाषा बताते है एवं स्वयं के देश ब्रिटेन में संस्कृत भाषा को अनिवार्य कर रहें है । किसी भी अन्य देशों में मातृभाषाओं को ही तरजीब दी जाती है । परन्तु कुछ बु़ि़द्ध जीवि अंग्रेजी भाषा समर्थक होने के साथ भारतीय भाषाओं के विरोध में मूर्खता पूर्ण तर्क भी देते है । यह लोग इस प्रकार का भी प्रयास करते है कि भारत में लोगो को भाषाओ के आधार पर लडाया जाये एवं राज किया जाये । इसिलिये यह कभी तमिल भाषी, तेलगू भाषी, हिन्दी भाषी , बंगाली भाषी आदि शब्दो का भी प्रयोग करतें है । जैसे हम कह सकतें है कि प0 नेहरू का शरीर भले ही भारतीय था परन्तु मन अग्रेजी था परन्तु में कहूंगा की राहुल गांधी का शरीर में एवं मन दोनेा ही अंग्रजी है ।


     राहुल गांधी एक भ्रमित नेता के रूप में उभर रहें है । वे अपने भाषण हिन्दी में देते है परन्तु हिमायत अंग्रजी भाषा की कर रहे है । इसी बात से उनकी मानसिक स्थिति को समझा जा सकता है । इनके यू0पी0ए0 के कैबनेट में भी एक से एक अंगे्रजी बालने वाले धुरंधर थे  । जैसे पी0 चिदंबरम वे चाहते तो बजट तमिल में भी प्रस्तुत कर सकते थे परन्तु नही आखिर अंग्रेजी प्रेम से जो बंधे थे । वर्तमान राष्टपति एवं पूर्व वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी वे चाहते तो बंगला में बोल सकते थे परन्तु नही अंग्रेजी प्रेम के आग जब बंगाली ही नही टिक सकी तो अब आगे कहने को क्या रह जाता है । काग्रेस पार्टी में बहुत ही कम नेता रहें है जिनकी कथनी एवं करनी में अंतर नही रहा हो सभी विदेशी विश्व वि़द्यालयों से सीख आये ही वैश्विक संवाद के लिये अंग्रजी आवश्यक पुरन्तु यह बात जापानी, चीनी, अरब और तो और स्पेन, पोलेंड, जर्मन फ्रांस, रूस जैसे देश भी इन सिद्धांतों का समर्थन नही करतें है। फिर राहुल गांधी का अंग्रजी भाषा का समर्थन मूर्खतापूर्ण एवं तर्कहीन है । इससे हिन्दी ही नही सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं का अपमान होता है। 

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