मै 22 सितम्बर 2013 दोपहर 12 बजे आसपास अपने घर से नागपुर की ओर निकल पडा । बस मार्ग अत्यंत ही विच्छित अवस्था में है इस बात की जानकारी मेरे सारे मित्रों ने मुझेे दी थी परन्तु लोहपथ गामिनी मे स्थान न मिलने के कारण मैने बस मार्ग से ही जाना उचित समझा। बस में आगे की ओर बैठ गया और प्रकृति का आनंद लेते हुऐ जबलपुर से नागपुर की ओर चल पडा । सिवनी पहुचने में मुझे पाॅच घंटों का समय लगा । सिवनी के पहले बंडोल में वाहल चालक परिवर्तित होना था नया चालत मदिरा पी कर मधुशाला में आनंद प्राप्त कर रहा था और वर्तमान चालक वाहन छोडकर घर चला गया अब क्या था मेरे नागपुर यात्रा का संघर्ष हो चुका था । बस आधे घंटे तक रूकी रही फिर वाहन चालक आया और सिवनी के लिये निकले।
सिवनी मे बस स्टेण्ड मे मंगोडे अच्छे मिलते है । बीस रूपये में मंगोड खा कर नागपुर की ओर निकल पडे वाहन चालक बदल चुका था । नया वाहन चालक सुरक्षा के प्रति बडा सजग था । उसने तीस कि मी प्रति घंटे की गति से वाहन चलाया वर्तमान समय में तो बेलगाडी भी इससे अधिक गति में चलती है । खवासा सीमा में भारी जाम का सामना करना पडा । यह जाम नियमित रूप से लगता है । मार्ग तो इतना उत्तम की स्वयं ब्रम्हा भी विचार में आ जाये की इसका निर्माण कैसे किया गया होगा । रात को ग्यारह बजे मे नागपुर पहुॅचा । वहाॅ मेरा अभीष्ट मित्र श्री मनीष सनोडिया मेरा बडे ही उतावलेपर से मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे । परन्तु मेरे फोन की बैटरी जा चुकी और मेरा रात्रि भविष्य अधर मे लटक चुका था । परन्तु मेरे नागपुर बंधुओ के दूरभाष की सहायता से मैने श्री मनीष सनोडिया से संपर्क किया और वह मुझे नाग बाबा मंदिर में मिल गया । तद्ोरान्त दोनो मित्रों ने एक ही डब्बे से खाना खाया क्योंकि खाने वाली भाभी मेरा डिब्बा नही लायी थी । दोनो ने मिलकर हमारे सारे एम0 सी0 ए0 के सहपाठियों को स्मरण किया । यह स्मृति कार्यक्रम बिना किसी भेद भाव के हुआ इसमें मित्रों, शत्रुओं, नारी एवं पुरूषों की चर्चा समान्य रूप से हुई ।
अगले दिन हमें प्रव्रजन प्रमाण पत्र माग्रेसन सर्टिफिकेट के लिये निवेदन देने जाना था । खाना आ चुका था हमने डब्बा खोला और डब्बे से दो मुर्गी के अंडे निकल आये, मै तो अंडे खाता नही हूॅ अतः मुझे बिना खाये ही प्रस्थान करना पडेगा । हम दोनो ने आॅटो से विश्वविध्द्यालय की ओर प्रस्थान किया, शनिवार का दिन था इसिलिये कार्यालय जल्दी बंद होने की शंका थी । परन्तु श्री मनीष सनोडिया आॅटो वाले से भिड गये चिन्तन न्याय अन्याय का, आॅटो वाले ने दस के स्थान पर पद्रंह रूपये की मांग कर डाली सनोडिया जी का पारा उपर चड गया । श्री सनोडिया जी बहुत ही शांति प्रिय मानव है एवं मुझे उनके इस आचारण पर बडी ही हंसी आ रही थी । अंत में हमने आॅटो वाले को पद्रंह रूपये दे दिये और दूसरा आॅटो कर लिया। विश्वविध्द्यालय पहुचने पर हमने प्रव्रजन प्रमाण पत्र के लिये निम्न पत्रो को दिया
1 स्थानांतरण प्रमाण पत्र की एक प्रति ( PhotoCopy of Transfer Certificate)
2 एम0 सी0 ए0 अन्तिम खंड की अंकसूची की एक प्रति(MCA final semester Marksheet)
3 पाॅच सौ रूपये(500 Rs)
यह प्रव्रजन प्रमाण पत्र का महीने भीतर आपके स्थायी पते पर पहुचा दी जायेगी ।
मैने भोजन किया एवं इसके पश्चात् हम वर्धा गांधी गा्रम की ओर लोह पथ गामिनी निकल चुके थे । वर्धा मे हमें प्रखर प्रवक्ता स्व0 श्री राजीव दीक्षित जी के यहाॅ जाना था । हम वहां पहुचे पर श्री प्रदीप दीक्षित जी से भेंट नही हो पायी । हम दोनो उनकी एक पुस्तक खरीदी और पुनः नागपुर आ गये । नागपुर मै हमने इंटरसिटी माॅल मे गां्रड मस्ती देखी । इसके पश्चात् हम दोनो अपने गृह में आ गये । सवेरे उठकर हम दोनो महाविध्द्यालय के दिनो कि चर्चा की और सभी सहपाठियों का स्मरण किया। मैने तीन बजे नागपुर से जबलपुर की ओर निकल चुका हॅू । श्री मनीष सनोडिया का अतिथि सत्कार के लिये धन्यवाद देता हूॅ । एक बाम्हण मि़त्र का आर्शीवाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा, दुधों नहाओ पूतों फलों, तुम्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो और कन्या के रूप स्वयं लक्ष्मी तुम्हारे घर में अवतार ले ।
मै तीन बजे श्री मनीष सनोडिया के ग्रह से निकल पडा और निकलते ही बिल्ली मौसी ने मार्ग विच्छेद कर दिया । मैने इन अंध विश्वासों में मुझे नही पडना में तो आधुनिक हॅू और यह तो पुराने जमाने के आडंबर है ।और मैने आगे की प्रस्थान किया । गीतांजली पहुचकर चार बजे का नागपुर से जबलपुर जाने का टिकट लिया । एवं बस की प्रतीक्षा करने लगा बस सध्या छः बजे आयी दो घंटे देरी से । इसके पश्चात दो घंटे खवासा सीमा पर जाम मे बस खडी रही । सिवनी पहुचकर पता चला की बस तो सिवनी तक ही जानी है रात्रि एक बजे मै और अन्य यात्री बस स्टेण्ड पर खडे थे । एक अन्य बस जाने के लिये तैयार थी बस में बैठते ही बस पंचर हो गयी अब तो मेरा खट्टा हो गया और मैने आगे जाने के अपेक्षा सिवनी में रात्रि विश्राम का निर्णय लिया एवं यहा हाटेल में रूक गया । हाॅटेल अमन में रूका किराया 350 रू0 एवं अर्ध रा़ित्र में जीरा चावन खाकर विश्राम किया । प्रभात होने पर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर हाॅटेल छोड दिया । बाहर निकलकर दो कचोडियों के स्वाद का आनंद प्राप्त किया । जिनकी मूल्य मात्र दस रू0 था । कचोडियों स्वादिष्ट थी । आगे बस में बैठ गये । बस 10ः10 में थी । यह बस संध्या 4ः50 में जबलपुर पहुची । यह मेरी नागपुर यात्रा का सारांश है ।
धन्यवाद
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